Spring Season in Hindi: भारत में छ: ॠतुओ को माना जाता है जो सब अपनी अपनी विशेषताओ को दर्शाति है। इन सब में सबसे पहला और सबसे पर्मुख स्थान बसंत ऋतु को प्राप्त हुआ है इसी कारण इस ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है। बसंत ऋतु को वसंत ऋतु के नाम से भी जाना जाता है। नीचे हमने ऋतुओ के राजा बसंत ऋतु पर सरल भाषा में निबंध लिखा है।
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Essay on Spring Season in Hindi: वसंत ऋतु पर निबंध
प्रस्तावना और अर्थ
बसंत संस्कृत के शब्द बस धातु से निकला है बस का अर्थ होता है चमकना। बसंत का अर्थ हुआ चमकता हुआ। प्रकृति के चमकते हुए रूप को बसंत ऋतु कहते है। प्राचीनकाल मे किसी भी शुभ कार्य का श्री गणेश बसंत ऋतु से होता था। क्योंकि बसंत, शुभ और शगुन का प्रतीक माना जाता है। वैदिक युग मे विद्या प्राप्ति का कोई भी काम व महाजनो का अनुष्ठांण इसी ऋतु से प्रारंभ होता था। हमारे प्राचीन ऋषियों ने ॠतुओ का सूक्षम अध्यन कर वर्ष का प्रारम्भ बसंत ऋतु से किया। भारतीय परंपरा के अनुसार चैत्र माह वर्ष का पहला महीना है। इसलिए चैत्र, बैसाख दो माह बसंत ऋतु कहलाते है। हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार वसंत ऋतु मार्च और अप्रैल महीने में आती है।
ऋतुराज बसंत – Spring – King of All Seasons
बसंत ऋतु को ॠतुओ का राजा या ऋतुराज भी कहा जाता है। प्रकृति का श्रृंगार इसी ऋतु में होता है। इस महीना मे प्रकृति क्रीड़ा करती है। प्रकृति ने मानो सभी ऋतुओ के गुणों का मिश्रण से इस ऋतु का निर्माण किया। हम यह भी कह सकते है कि सभी ॠतुओ ने अपने अपने अंश के द्वारा अपने राजा की रचना की हो। बसंत ऋतु में सभी ॠतुओ के गुण शामिल है। इसलिए इस ऋतु को ऋतुराज की उपाधि दी गई है। यह ऋतु प्रकृति का मुकुट है। जिसमे सभी उल्लास के रंग बिखरे हुए है। यही कारण है बसंत ऋतु भारत में सभी ॠतुओ मे महान मानी जाती है।
वसंत ऋतु का महत्व और मनाने का तरीका
इस ऋतु का शुभारंभ बसंत पंचमी से होता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं , जो की उल्लास का प्रतीक मना जाता है। घरों में तरह तरह के पकवान बनाए जाते है। कुछ स्थानो पर बसंत मेलो का आयोजन भी होता है, जो बड़ा ही मनमोहन लगता है। इस ऋतु में लोग सहज भाव से आनंद विभोर होकर नाचते और गाते है। इसलिए रंगों का त्योहार होली भी इसी ऋतु में आता है। इस त्योहार पर लोग अपने दिलों के रंगों को बाहर के रंगों में रंग देते है। लोग रंगों को अपनी खुशियों के रूप मे दूसरों पर बिखेर देते है। आनन्द के इस पावन महीने में चारों और आंनद ही आंनद देखने को मिलता हैं।
वसंत ऋतु – खुशी का पर्व
बसंत ऋतु मे प्रकृति के सारे रूप हर्ष व्यक्त करते हुए दिखाई देते है। जब प्रकृति के सभी रंग खुशियाँ मानते है, तो मानव जाति इसका लुत्फ़ से वछित कैसे रह सकती है। प्रकृति का पुजारी कह लाने वाली मानव जाति इस ऋतु का खुब लाभ उठाती आई है इस ऋतु में सभी का मन स्वभाविक रूप से हर्षित रहता है चाहे वो पशु पक्षी हो या मनुष्य ।
किसी ऋतु में अधिक गर्मी होती है तो किसी मे सर्दी या वर्षा, इस कारण मानव मन आशांत रहता है। किसी भी कार्य को करने मे असमर्थ सा दिखाई देता है किंतु बसंत ऋतु में ऐसा बिल्कुल नहीं होता इस ऋतु में न तो अधिक सर्दी होती है न अधिक गर्मी। इन दिनों बरसात भी समान रूप से होती है जिस वजह से किसी भी कार्य को करने की रुचि भी अधिक होती है। इन दिनों बच्चो नौजवानों से लेकर बुजर्गो में भी उल्लास भर उठता है। ठंडी और सुगंधित वायु का आंनद लेने के लिए लोग प्रात काल उठकर सैर करने के लिए निकल जाते है।
अपने शरीर को स्वस्थ बनाने हेतु भी यह ऋतु काफी लाभप्रद होती है। हमारे जीवन मे प्रात काल की शुद्ध वायु बहुमुल्य ओषद्धि का कार्य करती है , और हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। बसंत ऋतु में सभी लोगों के मुख पर प्रसनता छाई होती है, इसलिए इस ऋतु को हर्ष और उल्लास का सूचक माना गया है।
बलिदान और त्याग का पर्व
बसंत का यह पर्व हमे एक ऐतिहासिक घटना की याद भी दिलाता है। इस दिन वीर बालक हकीकत राय ने अपना शीश काटकर अभूतपूर्व बलिदान किया था। उसी पावन दिन को स्मरण करते हुए उसकी समाधि पर हर वर्ष शाम के समय मेला लगाया जाता है। पहले यह मेला लाहौर में लगता था, परंतु अब ये नई दिल्ली हिंदू महासभा भवन में लगता है। इसी कारण यह दिन बलिदान और त्याग का पर्व भी कहलाता है।
कवियों का प्रेरणा स्त्रोत वसंत ऋतु
पुराने वर्षों से बसंत ऋतु ने सबसे ज्यादा कवियों को प्रेरित किया है। कवियों में ऐसा कोई नहीं हो सकता जिसकी कलम बसंत ऋतु पर ना उठी हो। सभी महान कवियों ने जैसे कि कालिदास, बाल्मीकि, तुलसीदास, व्यास ,भवभूति आदि कवियों ने इस ऋतु पर संस्कृत मे कविताओं की रचना की है।
हिंदी कवियों ने भी इस ऋतु राज से प्रभावित होकर कितनी ही कविताओं को रचा है। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि महादेवी वर्मा, दिवाकर, निराला, प्रसाद ये सब भी बसंत ऋतु से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। इन सभी कवियों के ह्रदय मे वसंत ने अपनी अनुपम सुंदरता का स्त्रोत बहाया है। इनमें नई धड़कन पैदा करके उमंग का संचार किया। फलसवरूप इन सब महान कवियों के हृदय से नयी कविताओं का निर्माण हुआ।
उपसंहार
यह ऋतु सभी जनजाति मे नवयौवन का संचार करती है । गीता का उपदेश देते समय भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने आप को सभी ॠतुओ मे बसंत बताया है। इस ऋतु में जड़ चेतन्य का संचार होने लगता है। इसी कारण बसंत ऋतु को उल्लास से भरा और हर्षित करने वाला पर्व कहते हैं।
बसंत ऋतु पर दस लाइन: 10 Line on Spring Season
- बसंत ऋतु ऋतुओ मे सबसे सर्वोत्तम माना गया है। भारत में यह ऋतु सभी ॠतुओ से महान कहलाती है।
- इस ऋतु को ॠतुओ का राजा भी कहते हैं।
- बसंत शब्द की रचना संस्कृत के बस धातु से हुई है बस का अर्थ होता है चमकना। इस प्रकार बसंत का अर्थ हुआ चमकता हुआ।
- इस ऋतु को भारतीय सभ्यता के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।
- बसंत ऋतु मे प्राकृतिक सुंदरता को निखर प्राप्त होता है।
- यह ऋतु मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी ही लाभदायक सिद्ध होती है।
- यह ऋतु मनुष्यों के लिए अनेकों त्योहारो का आगमन करती है, बसंत पंचमी का पर्व भी इसी माह में मनाया जाता है।
- इस ऋतु को हम वीर बालक हकीकत राय द्वारा शीश बलिदान दिवस के रूप मे भी मानते हैं। जो कि एक ऐतिहासिक घटना है
- भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता का उपदेश देते हुए अपने आप को इसी ऋतु मे बताया है।
- बसंत ऋतु मन मे नया उल्लास भर देने वाला पर्व है।