पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: Pollution Essay (Long & Short) in Hindi

Pollution Long & Short Essay in Hindi: प्रकृति और मनुष्य का संबंध प्राचीन काल से चला आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मनुष्य ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने मे कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। कल कारखानों और उद्योगों का विकास, जनसंख्या वृद्धि और पेड़ों का निरंतर कटाव प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। कारखानो से निकलने वाले धुएं से नदियों के जल दूषित हो रहे है। और जंगलो की अंधा धुंध कटाई के कारण जीव जंतु समाप्त होते जा रहे है। मानवता को प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए। आज हमने नीचे प्रदूषण की समस्या पर बड़ा (1300 Word) और छोटा (10 Line) निबंध लिखा है जिसे छात्र किसी भी Class के लिए Essay या Speech के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।

प्रदूषण पर निबंध: Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay in Hindi
Pollution Essay in Hindi

प्रस्तावना

मानव जाति ने अपनी सुख सुविधाओ और प्रकृति पर विजय पाने के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ना आरंभ किया। प्रकृति पर अत्याचार करने का दंड मानव जाति को विभिन्न प्रकार के रोगों के रूप मे मिला। जब सृष्टि का निर्माण हुआ तब मनुष्य और प्रकृति एक साथ थी। उस काल में कोई रोग मानव को परेशान नही करता था। परंतु आज के इस दौर में धीरे धीरे प्रकृति का संतुलन मानव जाति के हाथो से बिगड़ता गया और अनेक रोगों का जन्म होने लग गया। आज विज्ञान ने कई ऐसे उद्योगों , कारखानो और साधनों का निर्माण किया है जिससे प्रकृति के तत्वों मे विकार पैदा हो गए है। प्रकृति के हर तत्वों मे विकार पैदा करके मानव जाति ने अपने आप के लिए ही मुसीबत पैदा कर ली है।

प्रदूषण का अर्थ और प्रकार

पृथ्वी के वायु, जल और आवरण आदि में गतिशील बदलाव को पर्यावरण कहा गया है। प्रकृतिक संतुलन इसी से बना हुआ है। मानव शरीर को समय समय पर शुद्ध पेय जल और शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है। मानव के कान सीमित धवनि सुन सकते है। इसके अलावा अन्य सभी इंद्रियाँ सीमित अनुभूति का अहसास करती है। परंतु अगर उनमे विकार पैदा हो जाता है तो वह हमारे लिए प्रदूषण साबित होता है।

प्रकृतिक से मिले अनमोल उपहारों मे वैज्ञानिक अविष्कारों ने भी कई विकार पैदा कर दिए है। जिससे हमारे जीवन मे हर रोज काम आने वाली हवा, पानी आदि सब प्रदूषित होने लग गए है। अधिक तेज रोशनी आँखों को और अधिक तेज आवाज़ हमारे कानों को हानि पहुँचती है। धीरे- धीरे वायु, ध्वनी , जल आदि सब दूषित होता जा रहा है।

आज प्रदूषण इतना बड़ा रूप लेकर मानव जाति के सामने आ गया है कि वह एक विषम और भयंकर समस्या बन गया है। वायु, जल, भूमि आदि को तेज़ी से दूषित करने की क्रिया को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण हमारे सामने कई तरह से आ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, धवनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रकृति ने वायु को बिल्कुल साफ बनाया था। परंतु आजकल यातायात के साधनों मे इतनी वृद्धि हुई है कि वे हर समय जहरीला धुआ छोड़ते है। जो वायुमंडल को दूषित बना देते है। कारखानों और उद्योग धंधों के विकास ने तो प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सासँ लेने मे भी कठिनाई आने लग गई है। हमारे शरीर में आक्सीजाँन की मात्रा कम होती जा रही है शाम के समय बड़े बड़े महानगरो मे इतना प्रदूषण फैल जाता है कि चारो ओर धुआँ धुआँ नज़र आता है। जिससे हमारी आँखों मे जलन होती हैं और आँखे कई प्रकार के रोगों से प्रभावित हो जाती है।

वायु प्रदूषित होने से सांस के रोगियों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है फेफड़ों के रोग और आँखों के खराब होने की समस्या भी पनपती जा रही है। प्रकृति द्वारा दिये गए इतने महत्वपूर्ण उपहार को मानव ने इतना बिगाड़ दिया है कि आज ये एक समस्या बनकर सामने आ गयी है। इस बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भी चिंतित है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

जल के रूप में प्रकृति ने हम एक अनमोल उपहार दिया है, जल को जीवन की संज्ञा दी गई है किंतु आज जल मलिन एवम विशुद्ध हो गया है। जो हमारे शरीर में अनेको बीमारियों को फैला रहा है। जल एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है ।जिसके बिना मानव जाति का जीवन मुमकिन नहीं। बिना पानी पिए इंसान ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता।

नदी, नहर और तालाब आदि जल के प्रमुख स्त्रोत है जो हमारे दैनिक कार्यो को पूरा करने मे हमारी सहायता करते है। किंतु आज के समय मे हमारी नदियों में विशुध् जल बह रहा है, धरती के नीचे प्रदूषित जल इकट्ठा किया हुआ है। प्रकृति के सभी जल स्त्रोत मनुष्य के लिए नितांत दूषित बने हुए हैं। परंतु वाह रे स्वर्थी इंसान तूने जल को भी शुद्ध नही रहने दिया।

नदियों मे शहरो और नगरों का गंदा पानी नालो द्वारा प्रवाहित किया जाता है। कारखानों का जल नदियों में डाला जाता है। इस कारण से नदियों का पानी इतना दूषित हो गया है कि बिना साफ किये पिया नही जा सकता।

धवनि प्रदूषण (Noise Pollution)

विज्ञान के ध्वनी प्रसारण आविष्कार लाउडस्पीकर ने धवनि को प्रदूषित करने मे सहायता दी। रेलगाड़ियों, बसो, कारों व अन्य साधनों हॉर्न से निकलने वाली तेज़ धवनियो ने बहुत अधिक धवनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरो मे अनेकों ऐसे यत्र है जिनमे से बहुत ही तेज आवाज़ निकलती है। सुबह शाम मंदिरों, मस्जिदो , गुरुद्वारो मे से बड़ी जोर से आवाज़ आती है जिससे भी धवनि प्रदूषण होता है। इसका प्रभाव हमारे कानों पर पड़ता है।

धवनि प्रदूषण से हमारे शरीर के कोमल तंतु प्रभावित होते है। इस कारण हम मे सुनने की शक्ति कम होती जा रही है। और सिर्फ कान ही नही बल्कि और भी कई प्रकार की बीमारियों ने शरीर को घेर लिया है जैसे सिर दर्द व भारीपन बना रहता है। नींद कम आने लग गयी है अनिंद्रा की बीमारी हो गयी है उच्च रक्तचाप आदि रोग होने लग गए है। इस प्रकार धवनि प्रदूषण से कई प्रत्यक्ष और प्रोक्ष रोग पैदा हो रहे है।

भूमि प्रदूषण (Land Pollution)

जल, वायु, और धवनि प्रदूषण के साथ साथ भूमि प्रदूषण भी अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। वैज्ञानिक उन्नति और उद्योग धंधो के कारण भूमि प्रदूषण की समस्या भी निरंतर बढती जा रही है जो आगे चलकर एक विकराल रूप ले सकती है। कारखानो के कचरे और गंदे पानी और रासायनिक कूड़े से तेज़ी से भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक की थैलियों का जोर शोर से हो रहे प्रयोग से भी भूमि प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान

आज के समय में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की हो रही है। जिसके कारण हर वस्तु दूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण को रोकना अति आवश्यक है। यदि हम वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नही करेंगे तो ये सम्पूर्ण मानव जाती के लिए विनाशकारी साबित होगा। वायु प्रदूषण को रोकने हेतु सबसे पहले कदम प्रकृति के श्रृंगार सवरूप पेड़ों की कटाई पर रोक होना चाहिए।

वृक्ष मानव जाति के सबसे बड़े मित्र होते है, पेड़ पौधे निरंतर वायुमंडल को साफ करते रहते है। इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहनों के वजह इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना चाहिए। उद्योग धंधो और कारखानों को शहर और बस्तियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण कम करने के लिए गंदे पानी वाले नालो को नदियों के बजाय खेतो या दूसरे क्षेत्रो में मिलाना चाहिए। धवनि प्रसारण यत्रो की धवनि को कम करना या उन पर रोक लगाने से ध्वनी प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

उपसंहार

आज के युग मे हर मनुष्य को अपने अपने स्थान पर प्रदूषण को रोकना चाहिए। मानव के लिए शुद्ध जल, शुद्ध वायु , शुद्ध भोजन, और शुद्ध मौसम अनिवार्य तत्व है। हम भी हर रोज अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होते है। आज के इस दौर मे बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए हम सब को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पैड लगाने चाहिए। बिना किसी जरूरत के वृक्ष नहीं काटने चाहिए। गंदगी को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण पर दस लाइन : 10 Line Short Essay on Pollution

  1. पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में परिवर्तन पर्यावरण कह लाता है।
  2. प्रकृति ने हमे बहुत से अनमोल उपहार दिये है जिसमे जल, वायु आदि शामिल है।
  3. आज पर्यावरण को मानव द्वारा दूषित किया जा रहा है। हमे इस पर रोक लगानी चाहिए।
  4. पर्यावरण को साफ रखने के लिए वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
  5. जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर भी हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
  6. मनुष्य को पर्यावरण की खातिर प्लास्टिक के थैलो का उप्योग कम करके काग़ज़ से बने लिफ़ाफ़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  7. अपने आस पास के स्थानों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चहिये।
  8. पर्यावरण के हित के लिए वृक्षों की हो रही अनआवश्यक कटाई को रोकना चाहिए।
  9. धवनि प्रसारण के यत्रो की धवनि कम करनी चाहिए और अगर कोई इस बात का पालन ना करे तो उस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिये।
  10. कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। इससे भी प्रदूषण की समस्या को कम करने में काफी हद्द तक मदद मिलती है।
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